ग़ालिब नहीं मैं ग़ज़ल सुनाने
किशोरे नहीं मैं गाना सुनाने
चापलिन नहीं मैं सबको हसाने
देवदास नहीं न किसीको रुलाने
मुसाफिर अजीबसा जानेना कोई //2//
मैं चला मेरे मंजिल दुन्ड़ते
दुनिया में पड़े कुछ रास्ते से गुज़रते
खुद मैं हस्ते हस्ते
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