जगा न लेगी जगा न होगी
कोई हस्ती एस दुनिया में
परवा न किसी की कहे मनकी
निडर हस्ती अपने बलपे
कोयीतो आये सुधार लाये
रुकेन कबी जीवन में
करे जो वो काम
बोले थो अपने मन
डरे न कभी जमानेसे
शाशन हो अनुशाशन हो
हर व्यक्ती का सम्मान हो
क्षेत्र स्तायिकी मान हो
अपनेका अभिमान हो
स्वाभिमान पे चुनोती आये
आक्रमण से अन्याय होए
जंगल मंगल रहे न मंगल
पर पीडसे कोई आसू बोये
लानेकथा सुधार को
आने काथा बाघ को
आएथे सुधार लाएथे
बोले सो बोले थे
करने का तो करदिये थे
छवी अपनी सबमे छोडे थे
रास्ता सबको दिक्लाये थे
स्वाभिमान का अर्थ बताए
परलोक कहा जावोगे
हमारे दिलमे बसके
अमर तुम होजावोगे
[In memory of Bal Thackeray(Balasaheb)]