प्यार की कलि
तू जबसे खिली
आयी है खुशियों की बहार
पल रहा है आँगन में प्यार
फैलादो प्यार कि खुशबू
दुनियाकी बगियन में
सफ़र है सुहाना तेरा
बसनेको हर एक दिल में
होता शांत चारो और
खिलनेका है कलि तुज्जैसी और
होगा हर रास्ता काँटों के बिना
होगी पूरी सबकी मनोकामना