MANOKANTHI
Friday, 23 November 2012
हारूंगा नहीं
सारी दिशां है अन्धकार
आता नहिं नज़र कोई रास्ता
सवेरा का नहिं करसक्था इंतजार
कहिं घुट्के मैं न मर जाता
कोशिश है हर कदम मेरी
छीर के देखूँ अन्देरियोसे से
बुलंद है विशवास मेरी
पहुंचूंगा मंजिल अपने
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