Thursday 29 November 2012

नगद बदली


चावल रोटी खाते रहेते 
पत्तर  आवे थो गाली देते रहेते 
केरोसिन पेट्रोल जलाते रहेते 
बड़ोती हुए तो छिल्लाते रहेते 

मिलने ना मिलने का शिकायत करते रहेते 
गोटालोंका का खुलासा करवाते 
ज़िन्दगी चलाते  रोते - गाते 
अपना धरम दूसरों के खंदेपे लगाते 

अब मोका है सुनेहरा यारों
खुद के  हातों  में थक्दीर है यारों 
मनमर्जी करसकते यारों 
बगैर पत्तर चावल लावो 
चूला मनमर्जी जलावो 

पर पैसा बुरी चीज़ है यारों 
नशा जल्दी चड्ती  है यारों 
कबीबी  हात से फिसल सकती है यारों 
सावधान तुम बरको यारों 
बीवी के हाथ पूरा थामावो 

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