Wednesday 21 November 2012

वतन

वतन  मेरे वतन 
जागे है मेरे नयन 

परिंदा भि  पार न आये 
न करे कोई आक्रमण 

बाहुओमें  धम है 
हम किसी से न कम है 
आवाज़ उठाए थो 
रुख जाए दुश्मन कि  धड़कन 
                             //वतन //
मोड़ लो अपना मन 
न करो कोई छेडकन 
ये धरती हमारा है चमन 

सहन का कोई हद्ध  है 
हम धरम बद्ध  है 

झड से तुजे मिटा सकते है 
मोका देना हमारा उसूल है 
वरना हम करम बद्ध  है 
                       //वतन //